कायांतरण।मेटामोरफॉसिस।Metamorphosis

Rakesh sihag
2 min readAug 14, 2021

फ्रेंज काफ्का बीसवीं सदी के महान उपन्यासकारों में से एक हैं।कायांतरण।मेटामोरफॉसिस।Metamorphosis।free pdf

बीसवीं सदी के शुरुआती दशकों में उनकी रचनाओं ने पश्चिमी जगत में तूफान मचा दिया था दुनिया भर में उनकी रचनाओं का अनुवाद हुआ जिसे पाठकों ने हाथों हाथ लिया था ।

“मेटामोरफॉसिस” उनकी विश्व प्रसिद्ध रचना है जो सन 1915 में प्रथम बार प्रकाशित हुई थी।
इस महान उपन्यास को 20 वीं सदी का अति महत्वपूर्ण उपन्यास माना जाता है जो मानव व्यवहार की गूढ़ दार्शनिक विवेचना लिए हुए है।
“मेटामोरफॉसिस” को अमेरिका और यूरोप के कई विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया था।

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मेटामोरफॉसिस “metamorphosis” कहानी है एक सेल्समैन ग्रेगर साम्सा की जो एक सुबह उठने पर अपने आप को एक कीड़े के रूप में पाता है।

अपने शरीर में हुए इस कायांतरण या कायापलट का ग्रेगर सांसा के जीवन पर क्या असर पड़ता है…

कीड़े में बदल जाने के बाद ग्रेगर किस तरह अपनी मां और बहन के प्यार और परवाह के लिए तरसता है….

उन्हें दुख पहुंचाए बिना उनकी संवेदना प्राप्त करना चाहता है…

उसके परिवार जन जिनमें उसके माता-पिता और बहन ग्रेटा शामिल है….

धीरे-धीरे उनका व्यवहार उसके प्रति क्या रूप लेता है….

ग्रेगर के एक कीड़े में बदल जाने पर उसके परिवार को किन असुविधाजनक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है….

इस लाचार अवस्था में ग्रेगर के मन में विचारों के क्या झंझावात चल रहे हैं…

माँ और बहन किस तरह उसे अपने जीवन में एक समस्या के रूप में देखने लगती हैं…

उसके पिता कैसे उससे जल्दी से जल्दी छुटकारा पाना चाहते हैं उसे चोट पहुंचाने का प्रयास करते हैं…

मानव व्यवहार और मानवीय भावनाएं किस तरह स्वार्थवश संचालित होती हैं….

उपयोगी से अचानक अनुपयोगी हो जाना एक इंसान के लिए कितना दर्दनाक और असहनीय हो जाता है….

किस तरह दुख या तकलीफ में एक दिन आपके निकटतम सम्बन्धी भी आपको अकेला उपेक्षित अपने हाल पर मारने के लिए छोड़ देतें हैं….

यही इस उपन्यास की विषय वस्तु है।

एक इंसान के कीड़े में बदल जाने जैसी कतई अविश्वसनीय घटना का विवरण होने के बावजूद दुनियाभर के पाठकों ने इस उपन्यास हाथों हाथ लिया क्योंकि इसमें वर्णित घटनाऐं कभी न कभी उनके जीवन से भी जुड़ी हुई महसूस होती है।

इस कालजयी उपन्यास को फ्रेंज काफ्का की आत्मकथात्मक रचना भी कहा जाता है क्योंकि उनके निजी जीवन के कुछ हिस्से इससे बहुत मेल खाते हैं …

कहते हैं कि उनके पिता बहुत लंबे चौड़े और गुस्सैल थे जिनके आगे काफ्का स्वयं को एक कीड़े की तरह महसूस करते थे।

मेटामोरफॉसिस।metamorphosis।free pdf पढ़ते समय पाठक की अटेंशन अपना वजूद बनाए व बचाए रखने के संघर्ष, वर्तमान भौतिकवादी जीवनशैली की सच्चाई,जीवन की विषमताओं,स्वार्थपूर्ण सामाजिक संरचना व व्यवस्था के विरोधभासी अमानवीय स्वरूप की ओर अपने आप चला जाता है ….

शायद यही कारण और विशेषताएं ही इस उपन्यास को विश्व इतिहास की कालजयी रचना बनाता है।

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Rakesh sihag

Hi friends ... I am Rakesh Sihag and I am a book lover blogger. I write reviews and summaries of bestseller books from well-known authors on my blog. thankyou